मंत्री की सिफारिश पर भी नहीं पहुंची एंबुलेंस, आदिवासी युवक ने तड़प तड़पकर तोड़ा दम, विश्व आदिवासी दिवस पर सरकारी ढकोसलों की खुली पोल

Edited By meena, Updated: 11 Aug, 2022 01:54 PM

in satna the tribal youth broke down in agony

बीते दिवस अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस समारोह मनाया गया। देश-प्रदेश सहित पूरे विश्व में सरकारें आदिवासियों के किए कार्यों का ढोल पीटती रहीं। वहीं दूसरी तरफ इसी सरकारी सिस्टम की वजह से एक गरीब बीमार आदिवासी की जान चली गई।

सतना(अनमोल मिश्रा): बीते दिवस अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस समारोह मनाया गया। देश-प्रदेश सहित पूरे विश्व में सरकारें आदिवासियों के किए कार्यों का ढोल पीटती रहीं। वहीं दूसरी तरफ इसी सरकारी सिस्टम की वजह से एक गरीब बीमार आदिवासी की जान चली गई। सरकार सिस्टम कितना लापरवाह है, इस तस्वीर को देखकर समझा जा सकता है कि स्थानीय ग्राम पंचायत के सरपंच द्वारा और अन्य लोगों द्वारा जिले के मंत्री को भी जानकारी दी गई। लेकिन नतीजा सिफर ही रहा।

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पूरा मामला सतना जिले की मझगंवा जनपद पंचायत अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत नरदहा की आदिवासी बस्ती मझगंवा हार का है। बीते दिवस शाम को अचानक आदिवासी बस्ती निवासी झुलुवा मवासी पिता केशन मवासी उम्र 30 वर्ष की तबियत खराब हो गई। जिसके बाद गांव के आदिवासी ग्रामीणों ने ग्राम के सरपंच राजेंद्र सिंह को सूचना दी। जिस पर सरपंच राजेंद्र सिंह ने डायल 108 पर मरीज की जानकारी देते हुए वाहन भेजने की मांग की गई। दूसरी तरफ से दो घंटे के अंदर वाहन पहुंचने की जानकारी दी गई। लेकिन घंटों बाद भी डायल 108 वाहन नहीं पहुंचा। इसी बीच कई मर्तबा ग्राम के सरपंच राजेंद्र सिंह सहित साथ ही स्थानीय निवासी चंदन सिंह के द्वारा भी 108 नंबर पर फोन करके मरीज वाहन भेजने की मांग की जाती रही। तो वहीं दूसरी तरफ से हर बार "बस अभी भेज रहे हैं" की बात दोहराई जाती रही। इसी बीच स्थानीय निवासी चंदन सिंह के द्वारा प्रदेश के पंचायत और ग्रामीण विकास राज्यमंत्री राम खेलावन पटेल को भी पूरे मामले की जानकारी देकर मरीज वाहन को शीघ्र भेजने की गुहार लगाई गई। लेकिन कोई हल नहीं निकला। जिसके बाद आखिरकार दर्द से कराहते कराहते झुलूवा के प्राण पखेरू उड़ गए।

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एक गरीब आदिवासी की जान उस सरकारी सिस्टम के चलते निकल गई। जिस सिस्टम का ढोल बीते दिन देश प्रदेश सहित पूरे विश्व की सरकारों के द्वारा पीटा गया था। क्या इस पूरे मामले की जांच होगी। दोषियों के ऊपर कार्यवाही की जाएगी। शायद नहीं। क्योंकि जिस सिस्टम में संतरी से लेकर मंत्री तक गैर जिम्मेवार बैठे हो। सोचने वाली यह बात है कि अगर मंत्री के कहने बावजूद भी मरीज वाहन नहीं पहुंचा, तो आम इंसान का क्या हाल हो सकता है...

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