लॉकडाउन में फसल खुद तबाह कर रहे किसान, खेतों में छोड़े जानवर, ऐसा क्या हुआ?

Edited By Vikas Tiwari, Updated: 04 May, 2021 03:09 PM

lockdown farmers barwani news

कोरोना के चलते प्रदेश भऱ में लॉकडाउन लगा हुआ है, जिसका असर अब किसानों पर पड़ रहा है। सब्जी की फसलों का उचित दाम न मिलने के कारण अन्नदाता परेशान हो रहा है। जिसके चलते किसानों की मांग है कि अगर सरकार फायदा न सही बल्कि लागत मूल्य ही दे दे तो हमें...

बड़वानी (संदीप कुशवाहा): कोरोना के चलते प्रदेश भऱ में लॉकडाउन लगा हुआ है, जिसका असर अब किसानों पर पड़ रहा है। सब्जी की फसलों का उचित दाम न मिलने के कारण अन्नदाता परेशान हो रहा है। जिसके चलते किसानों की मांग है कि अगर सरकार फायदा न सही बल्कि लागत मूल्य ही दे दे तो हमें ज्यादा नुकसान नहीं होगा। वरना किसान नुकसान में ही मर जाएगा।

बड़वानी जिला मुख्यालय के समीप स्थित ग्राम रहगुन के किसान कैलाश ने अपने 6 एकड़ खेत में भिंडी की सब्जी बोई थी। लेकिन भाव कम होने से लागत भी नहीं निकल पा रही है। हालात इतने खराब हैं कि दो बार मंडियों में भिंडी भेजी लेकिन मजदूरी भी नहीं निकल पाई। जिससे परेशान होकर कैलाश ने अपने खेत में तकरीबन 500 भेड़ों को चरने के लिए छोड़ दिए। किसान कैलाश का कहना है भिंडी की फसल उगाने में उसे 1 लाख 75 हजार का खर्च आया था। मुनाफा तो दूर लागत भी नहीं निकल पाई कैलाश ही नहीं बल्कि जिले में कई ऐसे किसान हैं, जो परेशान हैं कोई सब्जियां उखाड़ के फेंक रहा है तो किसी सब्जियां सड़ने के लिए छोड़ दी पिछले 1 साल से बेहद खराब हालत के बावजूद अब तक सरकारों द्वारा इन किसानों की कोई मदद नहीं की गई अब जरूरत इस बात की है कि देश के अन्नदाता के लिए सरकार सामने आए और उनकी फसलों का मूल्य इन्हें दें लोगों को पेट भरने वाला किसान खुद भूखा ना रहे खुद परेशान ना रहे। 

कोरोना के चलते प्रदेश भऱ में लॉकडाउन लगा हुआ है, जिसका असर अब किसानों पर पड़ रहा है। सब्जी की फसलों का उचित दाम न मिलने के कारण अन्नदाता परेशान हो रहा है। जिसके चलते किसानों की मांग है कि अगर सरकार फायदा न सही बल्कि लागत मूल्य ही दे दे तो हमें ज्यादा नुकसान नहीं होगा। वरना किसान नुकसान में ही मर जाएगा।

बड़वानी जिला मुख्यालय के समीप स्थित ग्राम रहगुन के किसान कैलाश ने अपने 6 एकड़ खेत में भिंडी की सब्जी बोई थी। लेकिन भाव कम होने से लागत भी नहीं निकल पा रही है। हालात इतने खराब हैं कि दो बार मंडियों में भिंडी भेजी लेकिन मजदूरी भी नहीं निकल पाई। जिससे परेशान होकर कैलाश ने अपने खेत में तकरीबन 500 भेड़ों को चरने के लिए छोड़ दिए। किसान कैलाश का कहना है भिंडी की फसल उगाने में उसे 1 लाख 75 हजार का खर्च आया था। मुनाफा तो दूर लागत भी नहीं निकल पाई कैलाश ही नहीं बल्कि जिले में कई ऐसे किसान हैं, जो परेशान हैं कोई सब्जियां उखाड़ के फेंक रहा है तो किसी सब्जियां सड़ने के लिए छोड़ दी पिछले 1 साल से बेहद खराब हालत के बावजूद अब तक सरकारों द्वारा इन किसानों की कोई मदद नहीं की गई अब जरूरत इस बात की है कि देश के अन्नदाता के लिए सरकार सामने आए और उनकी फसलों का मूल्य इन्हें दें लोगों को पेट भरने वाला किसान खुद भूखा ना रहे खुद परेशान ना रहे।

 

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