Edited By meena, Updated: 22 Jul, 2019 05:46 PM
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) ने एक बार फिर से इतिहास रचते हुए चंद्रयान-2 की लांन्चिंग की। देश की इस ऐतिहासिक उपलब्धि, में मध्य प्रदेश की भी भागीदारी है। रतलाम का एक युवा साइंटिस्ट हिमांशु शुक्ला और कटनी की मेघा भट्ट देश के उन चुनिंदा और...
रतलाम: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) ने एक बार फिर से इतिहास रचते हुए चंद्रयान-2 की लांन्चिंग की। देश की इस ऐतिहासिक उपलब्धि, में मध्य प्रदेश की भी भागीदारी है। रतलाम का एक युवा साइंटिस्ट हिमांशु शुक्ला और कटनी की मेघा भट्ट देश के उन चुनिंदा और होनहार साइंटिस्ट में शामिल हैं, जिन्हें इसरो ने अपने इस महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 के लिए चुना था।
हिमांशु अलकापुरी ए-सेक्टर में रहते हैं, उनके पिता चंद्रशेखर शुक्ला रोडवेज में थे, जो कि अब वकालत कर रहे हैं। हिमांशु इसरो में साइंटिस्ट के पद पर पदस्थ हैं। 'चंद्रयान-2' में उन्होंने बूस्टर तैयार करवाने में योगदान दिया है। किसी भी रॉकेट में बूस्टर प्रेशर बनाते हैं, जिससे रॉकेट ऊपर जाता है। हिमांशु ने उज्जैन से केमिकल ब्रांच में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। इसके बाद उन्होंने टीसीएस में जॉब की। कुछ समय बाद हिमांशु का चयन इसरो में हुआ, उस वक्त देश में सिर्फ दो ही पोस्ट निकली थीं।
लांन्चिंग को लेकर सारे परिवार में थी उत्सुकता
रतलाम के शुक्ला परिवार के लिए एक-एक पल उत्सुकता औऱ बेचैनी से भरा रहा। इसरो के मिशन चंद्रयान-2 ने उनकी भी धड़कन बढ़ा रखी थी। पूरे देश की तरह उनकी भी नज़र इसरो के इस प्रोजेक्ट पर लगी थीं। पूरे देश-दुनिया की तरह हिमांशु का पूरा परिवार भी टीवी पर टकटकी लगाए बैठा था। हिमांशु के पिता पेशे से वकील है और मां गृहणी हैं। उनके परिवार में चंद्रयान-2 की सफलता पूर्वक लांचिंग से खुशी की लहर है।