मप्र के कूनो पार्क में दो और चीता शावकों की मौत

Edited By PTI News Agency, Updated: 25 May, 2023 08:25 PM

pti madhya pradesh story

भोपाल, 25 मई (भाषा) मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में भारत में जन्मे दो और चीता शावकों की मौत होने से देश में चीतों को पुनः: बसाने के महत्वकांक्षी ‘‘प्रोजेक्ट चीता’’ को झटका लगा है।

भोपाल, 25 मई (भाषा) मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में भारत में जन्मे दो और चीता शावकों की मौत होने से देश में चीतों को पुनः: बसाने के महत्वकांक्षी ‘‘प्रोजेक्ट चीता’’ को झटका लगा है।
इससे बाद केएनपी में मरने वाले चीता शावकों की संख्या बढ़कर तीन हो गई। 23 मई को भी पार्क में एक शावक की मौत हुई थी। बताया जाता है कि दो शावकों की मौत भी उसी दिन मंगलवार दोपहर को हो गई थी, लेकिन उनकी मौत की सूचना बृहस्पतिवार को दी गयी।
इन दोनों शावकों की उसी दिन मौत होने की जानकारी नहीं देने के पीछे के कारण का खुलासा अधिकारी ने नहीं किया।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, 23 मई को एक चीता शावक की मौत के बाद निगरानी टीम ने मादा चीता ज्वाला और उसके बाकी तीन शावकों की गतिविधियों पर नजर रखी।
विज्ञप्ति में बताया कि निगरानी दल ने 23 मई को पाया कि तीनों शावकों की हालत ठीक नहीं है और उनका उपचार कर बचाने का निर्णय लिया गया। उस समय दिन का तापमान 46 से 47 डिग्री सेल्सियस के आसपास था।
विज्ञप्ति के मुताबिक, शावक गंभीर रूप से निर्जलित पाए गए और इलाज के बावजूद शावकों को नहीं बचाया जा सका। चौथे शावक की हालत स्थिर है और उसका गहन इलाज चल रहा है।
ज्वाला ने सितंबर में नामीबिया से केएनपी आने के बाद मार्च के अंतिम सप्ताह में चार शावकों को जन्म दिया था। ज्वाला को पहले सियाया नाम से जाना जाता था।
नामीबियाई चीतों में से एक साशा की 27 मार्च को गुर्दे की बीमारी के कारण मौत हो गयी, जबकि दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीते उदय की 13 अप्रैल को मौत हो गयी। वहीं, दक्षिण अफ्रीका से लाए गए मादा चीते दक्षा ने इस साल नौ मई को दम तोड़ दिया था।
वर्ष 1947 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में आखिरी चीते के शिकार के बाद सियाया/ज्वाला के चार शावक भारत की धरती पर पैदा होने वाले पहले शावक थे।
तीन चीता शावकों के अलावा दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से लाए गए 20 वयस्क चीतों में से तीन की केएनपी में मौत हो चुकी है।
इन चीतों को पिछले साल सितंबर और इस वर्ष फरवरी में क्रमश: नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से केएनपी में लाया गया था।
धरती पर सबसे तेज दौड़ने की विशेषता वाले इस वन्यजीव को 1952 में देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था।
17 सितंबर, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में नामीबिया से लाए गए पांच मादा और तीन नर चीतों को केएनपी में बाड़ों में छोड़ दिया गया। अन्य 12 चीतों को फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था और अलग-अलग बाड़ों में रखा गया।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Lucknow Super Giants

Royal Challengers Bengaluru

Teams will be announced at the toss

img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!