PM मोदी ने जिन वासुदेवानंद को ट्रस्ट में जगह दी, वह शंकराचार्य तो दूर संन्यासी भी नहीं- शंकराचार्य स्वरूपानंद

Edited By meena, Updated: 07 Feb, 2020 02:04 PM

shankaracharya swami swaroopanand on shri ram janmabhoomi trust

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में वासुदेवानंद सरस्वती को जगह देने पर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि "सुप्रीम कोर्ट ने अपने चार फैसलों में वासुदेवानंद सरस्वती...

भोपाल: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में वासुदेवानंद सरस्वती को जगह देने पर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि "सुप्रीम कोर्ट ने अपने चार फैसलों में वासुदेवानंद सरस्वती को न शंकराचार्य माना और न ही संन्यासी माना है। ज्योतिष पीठ का शंकराचार्य मैं हूं। ऐसे में प्रधानमंत्री ने ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में वासुदेवानंद सरस्वती को ट्रस्ट में जगह देकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है।"

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने आगे कहा कि अगर वास्तव में ट्रस्ट में शंकराचार्य को रखना ही था तो अध्यक्ष पद पर उन्हें रखा जाना चाहिए था। रामलला की पैरवी करने वाले वकील के पाराशरण को ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाया और उनके निवास स्थान को कार्यलय। बेशक वे देश के वरिष्ठ वकील और संविधान के जानकार हैं, उनके अध्यक्ष बनने से ऐसा प्रतीत होता है कि अयोध्या में जिस राम मंदिर का निर्माण होगा। वह धर्मनिरपेक्ष संविधान के अनुसार बनाया जाएगा न कि वैदिक विधान के अनुसार।

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शंकराचार्य सरस्वती ने आगे कहा कि ट्रस्ट में जिस अनुसूचित जाति के व्यक्ति को शामिल किया गया है, उसका संबंध विश्व हिंदू परिषद से है। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा कुछ सचिव और स्थानीय कलेक्टर भी नियुक्त किए गए हैं, ये धर्मनिरपेक्ष संविधान का सरासर उल्लंघन है। कोई भी ऐसा ट्रस्ट, जिसमें शासकीय व्यक्ति शामिल है। वह किसी भी धर्मस्थल के निर्माण के लिए जिम्मेदार नहीं हो सकते हैं।

शंकराचार्य ने पीएम मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा कि राममंदिर निर्माण के लिए 90 के दशक में चारों शंकराचार्यों के सम्मेलन में एक रामालय ट्रस्ट का गठन किया गया था, जिसमें शंकराचार्यों, वैष्णवाचार्यों, अखाड़े के प्रतिनिधियों सहित अन्य प्रतिनिधि सम्मिलित किए गए हैं। उस समय इस ट्रस्ट का निर्माण अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए ही किया गया था। अब सरकार ने नया ट्रस्ट बनाकर एक कार्य कर रहे ट्रस्ट की अनदेखी की है।

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