Edited By meena, Updated: 29 Aug, 2024 02:42 PM
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दुष्कर्म की शिकार नाबालिग के गर्भवती होने पर परिजनों की गर्भपात कराने की अनुमति वाली याचिका...
बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दुष्कर्म की शिकार नाबालिग के गर्भवती होने पर परिजनों की गर्भपात कराने की अनुमति वाली याचिका खारिज कर दी। दरअसल, डॉक्टरों की टीम ने गर्भपात कराना पीड़िता के लिए खतरनाक बताया था इसी रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने अपना महत्वपूर्ण फैसला दिया है।
राजनांदगांव जिले में रहने वाली दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग के गर्भवती होने पर उसके अभिभावकों ने गर्भपात की अनुमति देने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले में जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की कोर्ट में सुनवाई हुई। उन्होंने पीड़िता की जांच रिपोर्ट 9 सदस्यों की विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम को देने के लिए कहा और टीम ने जांच पाया, कि 20 सप्ताह का गर्भ समाप्त किया जा सकता है, इसके अलावा विशेष परिस्थिति में 24 सप्ताह का गर्भ पीड़िता के जीवन रक्षा के लिए हो सकता है। लेकिन इस मामले में पीड़िता 24 सप्ताह से अधिक से गर्भवती है, ऐसे में गर्भपास करना उसके स्वास्थ्य के लिए घातक है और पीड़िता का सुरक्षित प्रसव कराया जाना उचित है।
मेडिकल रिपोर्ट में याचिकाकर्ता की गर्भावस्था की उम्र लगभग 32 सप्ताह है और डॉक्टरों ने राय दी कि पीड़िता का सहज प्रसव की तुलना में गर्भ समाप्त करना अधिक जोखिम होगा, और गर्भावस्था को समाप्त करने से इनकार कर दिया गया। विशेषज्ञों की राय के आधार पर उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी।
न्यायालय ने दुष्कर्म की शिकार नाबालिग पीड़िता के बच्चे को जन्म देने के लिए राज्य सरकार को सभी आवश्यक व्यवस्था करने और सब खर्च वहन करने का निर्देश दिया। न्यायलय ने कहा कि नाबालिग और उसके माता-पिता की इच्छा हो तो प्रसव के बाद बच्चा गोद देना चाहें तो राज्य सरकार कानून के लागू प्रावधानों के अनुसार आवश्यक कदम उठाएगी।