Edited By meena, Updated: 13 Dec, 2025 01:37 PM

दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे...
जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिन्दा न हों..ये विश्वविख्यात शायर बशीर बद्र का प्रसिद्ध शेर है...
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे...
जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिन्दा न हों..ये विश्वविख्यात शायर बशीर बद्र का प्रसिद्ध शेर है...जो राजनीति पर स्टीक बैठता है ...
कहा जा सकता है कि, ये राजनीति है साहब! यहां न कोई पक्का दोस्त होता है, न पक्का दुश्मन। अदावतें भी स्थाई नहीं हैं और गठबंधन तो आए दिन बनते, टूटते रहते ही हैं। जिन लोगों को यह बात अब तक सिर्फ किताबी नजर आती थी, उनकी भी गलतफहमियां दूर हो गई हैं। खासकर, गुना और अशोकनगर जिले के उन राजनैतिक कार्यकर्ताओं को एक नया सबक मिला है कि राजनीतिक दुश्मनी जमकर करो, लेकिन गुंजाइश इतनी रखो कि कभी मिलें तो शर्मिंदा न हों।
जी हां, मध्यप्रदेश की राजनीति के दो दिग्गज राजनेताओं की ताजा मुलाकात कुछ यही संदेश दे रही है। एक तरफ हैं पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया, जो केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास सिपलहसालार माने जाते हैं तो दूसरी और दिग्गज राजनेता दिग्विजय के सुपुत्र, पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह। ये दोनों धुरंधर एक ही फ्रेम में नजर आए।
मौका था गुना के बड़े कारोबारी और समाजसेवी प्रेमनारायण राठौर भजन सेठ की नातिनी के विवाह का। हंसी, ठिठोली, गले मिलना यह सब तो हुआ ही, साथ ही जब कुछ मिनटों के लिए यह दोनों नेता एक-दूसरे को सम्मान और स्नेह देते हुए नजर आए तो राजनीतिक दृष्टिकोण से आंधी, तूफान, सुनामी जैसे शब्दों का सामना कर चुके गुना जिले के नेताओं को भी अनोखा सबक मिल गया।
इस विवाह समारोह का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल है। महेंद्र सिंह सिसौदिया और जयवर्धन सिंह की मुलाकात में ऐसा लगा कि दोनों एक-दूसरे को आदर, सम्मान और स्नेह देना बिल्कुल भी नहीं भूले हैं। विवाह समारोह में जयवर्धन सिंह के आग्रह पर महेंद्र सिंह सिसौदिया ने एक गाना भी गाया। गाना था-तेरे जैसा यार कहां, कहां ऐसा याराना... इसके भी सोशल मीडिया पर अपने मायने निकाले जा रहे हैं।

फिर मंच से उतरते हुए महेंद्र सिंह सिसौदिया इस बात पर मुहर लगा देते हैं कि वे गाना जयवर्धन सिंह के कहने पर ही गा रहे थे। कहते हैं कि आज सारे नियम तोड़ दिए। दोनों एक सोफे पर बैठते हैं, हाथ मिलाते हैं, हंसते हैं, मुस्कुराते हैं और हाल-चाल भी पूछते हैं।
अब वीडियो सोशल मीडिया पर ऐसा वायरल हो रहा है कि मोहन सरकार का खजुराहो में मंथन, कांग्रेस की संगठनात्मक गतिविधियां और एसआईआर जैसे राष्ट्रीय परिदृश्य के मुद्दे पिछले 12 घंटों में चर्चा से लगभग ओझल हो गए हैं। बस एक ही चर्चा है जयवर्धन और महेंद्र की मुलाकात हो रही है। देखिए राजनीति में सबकुछ स्थाई नहीं होता।
समीक्षा भी अपने-अपने हिसाब से हो रही है। कोई कह रहा है कि नदी के दो किनारे मिलने के लिए बेताब हैं, कोई शिष्टाचार भेंट बता रहा है। लेकिन एक संदेश साफ है कि राजनीति खूब कीजिए, बयान भी दीजिए, कमियां निकालिए, बस गुंजाइश इतनी रखिए कि मिलें तो कभी शर्मिंदा न हों...। (गुना से मिस्बाह नूर की रिपोर्ट)