Edited By meena, Updated: 23 May, 2020 06:13 PM
कोरोना वायरस को लेकर अंधविश्वास का बाजार गर्म है। एक तरफ स्वास्थ्य विभाग इसे लेकर कई तरह की गाइडलाइन जारी कर रहा है तो वहीं दूसरी ओर अंधविश्वास में लिप्त लोग तांत्रिकों के पास जाकर बच्चे को गर्म सलाखों से दगवा रहे हैं। दिल को झकझोर देने वाला यह...
झाबुआ(जावेद खान): कोरोना वायरस को लेकर अंधविश्वास का बाजार गर्म है। एक तरफ स्वास्थ्य विभाग इसे लेकर कई तरह की गाइडलाइन जारी कर रहा है तो वहीं दूसरी ओर अंधविश्वास में लिप्त लोग तांत्रिकों के पास जाकर बच्चे को गर्म सलाखों से दगवा रहे हैं। दिल को झकझोर देने वाला यह मामला आदिवासी जिले झाबुआ से सामने आया है। जहां अनपढ़ माता पिता अपने तीन माह के बच्चे को सर्दी जुकाम होने पर तांत्रिक के पास ले जाते हैं और तांत्रिक बच्चे को गर्म सलाखों से दागना शुरु कर देता है।
जानकारी के अनुसार, झाबुआ में एक दंपति के तीन महीने के बच्चों को खांसी, जुकाम और बुखार हो गया। कोरोना के डर से वे डॉक्टर के पास जाने की बजाय गांव के ही तांत्रिक के पास पहुंच गए। तांत्रिक ने बिना सोचे समझे बच्चे के पेट पर गर्म सलाखें दागना शुरु कर दिया। हद तो तब हो गई जब उस तांत्रिक ने एक या दो बार नहीं पूरे पंद्रह बार मासूम बच्चे के पेट पर गर्म सलाखें दागी लेकिन माता पिता ने जरा भी नहीं सोचा की ये इलाज नहीं ला इलाज है। जो इस मासूम की जान भी ले सकता है। आखिर में जब बच्चे की तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो उसे लेकर डॉक्टर के पास पहुंचे।
आपको बता दें कि पश्चिमी मध्यप्रदेश का झाबुआ जिला आज भी पिछड़ा हुआ माना जाता है यहां का आदिवासी दो जून की रोटी कमाने के लिए अपने छोटे छोटे बच्चों को लेकर पलायन कर जाते है जिससे यहां की शिक्षा का स्तर आज भी बहुत कम है। ऐसे में यहां के आदिवासियों के परिवार में जब कोई बीमार पड़ जाता है तो उसे डॉक्टर नहीं बल्कि तांत्रिक के पास ले जाते है और झाड़ फूक करवाते है। ऐसे में कईयो की जान भी चली जाती है।