शिवराज सरकार से की मीडिया माफिया पर अंकुश लगाने की मांग, इंदौर प्रेस क्लब की नई पहल

Edited By meena, Updated: 27 Jan, 2021 06:20 PM

demand from shivraj government to curb media mafia

इंदौर प्रेस क्लब ने शिवराज सरकार से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय माफियाओं पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। इंदौर प्रेस क्लब ने एक पत्र के जरिए सरकार के सामने अपनी मांग रखी है। उनका कहना है कि मीडिया भी माफिया की दखलअंदाजी से अछूता नहीं है।...

इंदौर(सचिन बहरानी): इंदौर प्रेस क्लब ने शिवराज सरकार से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय माफियाओं पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। इंदौर प्रेस क्लब ने एक पत्र के जरिए सरकार के सामने अपनी मांग रखी है। उनका कहना है कि मीडिया भी माफिया की दखलअंदाजी से अछूता नहीं है। सरकार को ऐसे समाचार पत्रों, चैनल, यूट्यूब और सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शिकंजा कसना चाहिए जो पत्रकारिता की आड़ में लोगों को ब्लैकमेल करते हैं। इंदौर प्रेस क्लब की वहीं मीडिया संगठनों की आड़ में धंधेबाजी कर रहे लोगों पर भी अंकुश लगाना जरूरी है।

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इंदौर क्लब ने एक नई पहल करते हुए मीडिया संगठनों की आड़ में धंधेबाजी कर रहे लोगों पर रोक लगाने की मांग की है। इसके लिए प्रेस क्लब ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है जिसमें मीडिया माफिया पर भी कार्रवाई करने की मांग की है। प्रेस क्लब का कहना है कि समाचार पत्र, चैनल, यूट्यूब एवं फर्जी पत्रकार संगठन इन दिनों जोर-शोर से सक्रिय हैं। पत्रकारिता के नाम पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का भी जमकर उपयोग कर ब्लैक मेलिंग की जा रही है। इतना ही नहीं विभिन्न शासकीय विभागों, व्यापारिक क्षेत्रों और पुलिस थानों तक इन फर्जी पत्रकारों को की दखलअंदाजी देखी जाती है जबकि इनको राज्य सरकार के सूचना प्रसारण विभाग की कोई मान्यता है, ना ही इनका किसी प्रकार का कोई पंजीयन होता है। बावजूद इसके फर्जी संगठन सिर्फ पत्रकारों के कार्ड बनाकर धन उगाही कर रहे हैं। कुछ ऐसा ही हाल तथाकथित पत्रकार संगठनों का भी है। 

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संगठन के नाम पर यह लोग सिर्फ आईडी कार्ड बेचने का धंधा कर रहे हैं। सिर्फ पैसों के दम पर किसी न किसी तरह पत्रकारिता का तमगा लेते हैं और उसी कार्ड के सहारे लोगों को डराने धमकाने और पैसा वसूलने का काम करते हैं। दलाल की भूमिका निभाने वाले यह तत्व सरकारी दफ्तरों में भी अपने पत्रकार होने का रुतबा बताकर अफसरों पर काम के लिए दबाव बनाते हैं। तना ही नहीं कई बार तो ऐसे फर्जी पत्रकार सरकारी सुविधा का भी लाभ उठाते है। इनमें से कुछ एक ड्रग्स जैसे कारोबार में भी संलिप्त होते हैं। ऐसे में अच्छे और इमानदार पत्रकारों की छवि भी धूमिल होती है। इसलिए ऐसे मीडिया माफियाओं को खत्म करने की भी कोशिश करनी चाहिए।

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