Edited By Devendra Singh, Updated: 19 May, 2022 11:36 AM
रीवा पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भगवान परशुराम की जयंती पर फैसला किया कि ब्राह्मण बालक जो संस्कृत पढ़ते हैं, कर्मकांड को जिंदा रखे हैं, इस साल से उन बच्चों को स्कॉलरशिप मिलेगी। ताकि वह हिंदूस्तान की संस्कृति को आगे बढ़ा सकें।
रीवा (सुभाष मिश्रा): मध्य प्रदेश में त्रिस्तीय पंचायत होने है। इससे पहले शिवराज सरकार ने वोटर्स को लुभावने के लिए बड़ा दाव खेला है। इस बार बीजेपी सरकार ने सवर्ण वोट को साधने के लिए अपना रुख साफ किया है। जिसके लिए भरे मंच से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों को 5 लाख रुपए की स्कॉलरशिप देने की घोषणा की है। यह वादा रीवा में आयोजित किसान सम्मान निधि कार्यक्रम के दौरान किया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने परशुराम जयंती का भी जिक्र किया और कहा कि हमने तय किया है स्कूल की पाठ्यक्रम में परशुराम की गौरव गाथा को जोड़ा जाएगा।
सवर्ण वोट पर मेहरबान क्यों शिवराज सरकार?
2018 के विधानसभा चुनाव से पहले आरक्षण को लेकर एक मंच से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि कोई माई का लाल नहीं है जो आरक्षण को खत्म कर दें इसका सीधा मतलब हुआ कि आरक्षण को लेकर मध्य प्रदेश सरकार मुखर है। सरकार का मानना है कि वोट बैंक की राजनीति के लिए आरक्षण जरूरी है, होना भी चाहिए लेकिन अब फिर पंचायत तथा निकाय चुनाव की नजदीकियों को देखते हुए इस बार सवर्ण वोट को लेकर भी शिवराज सिंह चौहान ने अपना रुख साफ किया है। जिसके लिए इस तरह के दावे और वादे करना शुरू हो गए हैं।
सवर्णों को साधने के लिए रीवा ही क्यों?
ओबीसी आरक्षण पर जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया तो रीवा पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सवर्ण समाज के वोट बैंक को साधने के लिए भरे मंच से यहां भी अपने दांव आजमाने शुरू कर दिए। वह इसलिए क्योंकि विंध्य क्षेत्र सवर्ण समुदाय का सबसे बड़ा वोट बैंक माना जाता है और पिछली बार की गलती भी शिवराज ने विंध्य क्षेत्र में ही की थी, ऐसे में विंध्य क्षेत्र के सवर्ण वोटरों को लुभाने के लिए उनके द्वारा यह स्कीम लाई गई है।
ओबीसी आरक्षण पर कांग्रेस-भाजपा दोनों की जीत
ओबीसी आरक्षण को लेकर कई सालों से दोनों ही राजनैतिक दल कांग्रेस और भाजपा एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। जिसके लिए कई बार पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव को टालने की कोशिश भी की गई लेकिन आखिर बार अब ओबीसी आरक्षण के तहत चुनाव कराए जाने का सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार कांग्रेस कोर्ट के इस निर्णय को अपनी जीत बता रहे हैं।
समरसता की पार्टी
मध्यप्रदेश में भाजपा को पहले से ही एससी और एसटी के समुदाय के वोट तो मिलते रहे हैं। लेकिन इस बार ओबीसी आरक्षण पर अपनी स्थिति साफ करते हुए शिवराज सरकार ने ओबीसी के वोट बैंक को भी अपने खाते में डालने की कोशिश की। फिलहाल ओबीसी वर्ग अब भी कांग्रेस और भाजपा दोनों से ही खफा है। वहीं सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने सवर्ण वोट बैंक को भी अपना बनाने के लिए नई रणनीति बना ली है। जिसके लिए शिवराज सिंह ने समरसता का भाव उजागर किया है।