बदला लेने के लिए कराया SC-ST एक्ट और गैंगरेप का झूठा केस, हाईकोर्ट ने की रद्द, लगाई फटकार

Edited By Vikas Tiwari, Updated: 30 Sep, 2025 06:48 PM

sc st act and gang rape case filed for revenge high court reprimanded and cance

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि एट्रोसिटी एक्ट और महिलाओं को संरक्षण देने वाले कानूनों का दुरुपयोग ब्लैकमेलिंग और व्यक्तिगत बदला लेने के लिए किया जा रहा है। कोर्ट ने इसे समाज के लिए खतरनाक प्रवृत्ति बताया।

ग्वालियर: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि एट्रोसिटी एक्ट और महिलाओं को संरक्षण देने वाले कानूनों का दुरुपयोग ब्लैकमेलिंग और व्यक्तिगत बदला लेने के लिए किया जा रहा है। कोर्ट ने इसे समाज के लिए खतरनाक प्रवृत्ति बताया।

गुना के कैंट थाने में दर्ज गैंगरेप और एट्रोसिटी एक्ट के मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एफआईआर को निरस्त कर दिया। यह संभवतः पहला मामला है, जहां इस तरह की धाराओं में अग्रिम जमानत मुश्किल मानी जाती है, लेकिन कोर्ट ने पूरे मामले को ही आधारहीन मानकर खारिज कर दिया। आनंद सिंह लोधा और बृजेंद्र शर्मा इस मामले में आरोपी बनाए गए थे। खास बात यह रही कि पीड़िता ने अपने शुरुआती बयानों में आनंद सिंह लोधा का नाम नहीं लिया था और घटना के लगभग तीन साल बाद एफआईआर दर्ज कराई थी।

पीड़िता के वकील ने अदालत को बताया कि महिला और उसका पति पहले से ही एक नाबालिग शोषण मामले में नामजद हैं, लेकिन यह तथ्य कोर्ट से छुपाया गया। अधिवक्ता मधुर भार्गव ने दलील दी कि महिला ने व्यक्तिगत रंजिश और दुकान को लेकर विवाद के चलते आरोपियों को फंसाने की नीयत से दलित उत्पीड़न और दुष्कर्म जैसी धाराओं का सहारा लिया। कोर्ट ने माना कि शिकायत का वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है और यह सिर्फ प्रतिशोध एवं कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। इसलिए हाईकोर्ट ने एफआईआर को निरस्त करते हुए आरोपियों को राहत दी।

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