Edited By meena, Updated: 28 Feb, 2020 12:20 PM
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय 20 साल बाद अपना एक वचन पूरा होने पर अन्न ग्रहण करेंगे। जी हां यह सुनकर आप सब हैरान जरुर होंगे लेकिन यह सच्चाई है क्योंकि 20 साल पहले कैलाश विजयवर्गीय...
इंदौर (गौरव कंछल): भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय 20 साल बाद अपना एक वचन पूरा होने पर अन्न ग्रहण करेंगे। जी हां यह सुनकर आप सब हैरान जरुर होंगे लेकिन यह सच्चाई है क्योंकि 20 साल पहले कैलाश विजयवर्गीय इंदौर के मेयर निर्वाचित हुए थे। उन्ही दिनों उन्हें किसी महात्मा ने बता दिया कि शहर में पितृ दोष है, जिससे इंदौर का विकास रुका हुआ है। इसके निवारण के लिए महात्मा ने उन्हें पितृ पर्वत पर भगवान हनुमान की प्रतिमा स्थापित कराने का उपाय बताया। तभी से दोष दूर करने के लिए विजयवर्गीय ने सकंल्प लिया कि वे पितृ पर्वत पर हनुमान की सबसे बड़ी प्रतिमा स्थापित कराएंगे और जब तक काम पूरा नहीं हो जाता तब तक अन्न ग्रहण नहीं करेंगे।
20 साल किया अन्न का त्याग
20 साल बाद उनका संकल्प पूरा हो गया है। अब पितृ पर्वत पर हनुमान जी की प्रतिमा की स्थापना हो चुकी है और शुक्रवार शाम को वृंदावन के महामंडलेश्वर गुरु शरणानंद इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय को अन्न ग्रहण कराएंगे। बताया जा रहा है कि इन 21 सालों तक कैलाश विजयवर्गीय ने अन्न के रूप में गेहूं ,चावल, मक्का ,ज्वार, बाजरा, दालें छोड़ दी थी और वे केवल राजगीरा, साबूदाना, मोरधन, समा के चावल या फल ही खाया करते थे। इस संकल्प को पूरा करने के लिए उनकी पत्नी आशा विजयवर्गीय ने मदद की और इन 20 सालों में कैलाश विजयवर्गीय को केवल इन्हीं चीजों के बनाकर खिलाएं।
20 साल पहले ही शुरु करवाया प्रतिमा का कार्य
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने अपने मेयर के कार्यकाल के दौरान ही शहर की पुरानी देवधरम टेकरी पर पितृ पर्वत पर हनुमान की मूर्ति स्थापना की शुरुआत कर दी। वहां लोगों से पूर्वजों की याद में पौधे लगवाना शुरू करा दिया और धीरे-धीरे ये पौधे पेड़ बनते गए। पिछले बीस साल में करीब एक लाख पेड़ यहां पर लगाए गए। इसके बाद भगवान हनुमान की अष्टधातु की प्रतिमा बनना शुरू हुई और ग्वालियर के 125 कारीगरों ने 7 साल में इस प्रतिमा को तैयार किया, जो फरवरी 2020 में स्थापित हो पाई है। इसका प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव 24 फरवरी से चल रहा है, जो कि 3 मार्च खत्म होगा।
बताया जा रहा है कि पितृ पर्वत पर बन रही प्रदेश की सबसे बड़ी अष्टधातु की हनुमान प्रतिमा विराजित की गई है। जो 72 फीट की है। जिसमें सोना, चांदी, तांबा, जस्ता, सीसा, कैडियम जैसे अष्ट धातु को उपयोग किया गया है। इस प्रतिमा पर करीब 15 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। भगवान राम की भक्ति में बैठे हनुमान की प्रतिमा पास ही रामकथा की स्थापना भी की गई है। इसके आसपास जर्मनी से दो करोड़ रुपए में लाईं गई लेजर लाइटें भी लगाई गई हैं जिनसे प्रतिमा के सीने पर हनुमान चालीसा का वर्णन रोशनी में जगमगाता है।