Edited By Vikas kumar, Updated: 29 Aug, 2019 02:13 PM
इंदौर के आंखफोड़वा कांड में कमलनाथ सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। कमलनाथ सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए आई हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉक्टर सुधीर महाशब्दे, डॉक्टर सुहास बांडे, वरिंदर कौर और अनुसुइया चौहान पर छत्रीपुरा थाने में एफआईआर दर्ज की गई है..
इंदौर: इंदौर के आंखफोड़वा कांड में कमलनाथ सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। कमलनाथ सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए आई हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉक्टर सुधीर महाशब्दे, डॉक्टर सुहास बांडे, वरिंदर कौर और अनुसुइया चौहान पर छत्रीपुरा थाने में एफआईआर दर्ज की। वहीं इस मामले में जिला नोडल अधिकारी डॉ. टीएस होरा को भी संस्पेंड किया गया है।
दरअसल बीते आठ अगस्त को राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत मोतियाबिंद के मरीजों को आई हॉस्पिटल में दाखिल कराया गया था। जहां ऑपरेशन के बाद 11 मरीजों के आंख की रोशनी चली गई थी। मरीजों की आंखों की रोशनी जाने के बाद बनाई गई जांच समिति की रिपोर्ट में बड़ी लापरवाही सामने आई थी।स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अफसरों ने मिलकर न सिर्फ आठ दिन तक घटना छिपा कर रखा, बल्कि ओटी सील करने के बाद सैंपल भेजने में भी छह दिन लगा दिए। इस मामले में सबसे पहले जिला नोडल अधिकारी डॉ. टीएस होरा को संस्पेंड किया गया। उसके बाद बुधवार को अस्पताल के डायरेक्टर और ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर पर एफआईआर दर्ज की गई है।
स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। इस मामले में कलेक्टर ने हेल्थ कमिश्नर को अपनी रिपोर्ट भेज दी है। इस रिपोर्ट में जिला अंधत्व निवारण अधिकारी टीएस होरा को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की अनुशंसा की गई है क्योंकि 2011 में भी ये ही प्रभारी थे। उस समय भी 18 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। वहीं धार और इंदौर सीएमएचओ की भी लापरवाही सामने आई है।