huge water crisis in rewa: बूंद- बूंद के लिए संघर्ष, हैंडपंप देकर जवाब, दावों की खुली पोल

Edited By Devendra Singh, Updated: 05 May, 2022 01:53 PM

huge water crisis in rewa villagers demand new water tank

इन दिनों रीवा के त्योंथर के ग्राम पंचायत टंगहा के बरौं टोला में  देखी जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि यहां लगभग सैकड़ों की आबादी में लोग निवास करते हैं। एक नल के सहारे पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं।

रीवा (सुभाष मिश्रा): गर्मी शुरू होते ही पीने के पानी की किल्लत बढ़ने लगती है। इस मौसम में अधिकतर प्राकृतिक जलाश्य यह तो सूख जाते हैं या फिर सीमित हो जाते हैं। जिससे बड़ी आबादी की प्यास बुझाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। कुछ ऐसी स्थिति इन दिनों रीवा के त्योंथर के ग्राम पंचायत टंगहा के बरौं टोला में  देखी जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि यहां लगभग सैकड़ों की आबादी में लोग निवास करते हैं। एक नल के सहारे पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। हैंडपंप, पाइप की कमी के कारण पानी छोड़ रहे हैं। पानी की जगह हैंडपंप हवा उगल रहे हैं।

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गर्मी आते ही जबाव दे गए हैंडपंप

त्योंथर अंतर्गत पीएचई विभाग के हैंडपंप अब जवाब देने लगे हैं, जिन्हें पानी उगलना चाहिए लेकिन इन दिनों ज्यादातर हैंडपंप हवा उगल रहे हैं। इसके बाद भी पीएसई के सुधारने वाले ना तो मैकेनिक का पता चल पा रहा है और ना ही इंजीनियर, ठेकेदारों का। हर गांव में 10 हैंडपंप ख़राब है जो सिर्फ हवा उगल रहे हैं। बच्चे, बूढ़े, महिलाओं, जवानों को घंटों इंतजार के बाद प्यास बुझाने के लिए पानी मिल पाता है। कभी -कभी हैंडपंप के पानी छोड़ देने पर खाली हाथ लौटना पड़ता है। दो तीन किलोमीटर तक सिर पर और साइकिल से पानी ले जाना पड़ता है।

CM Helpline में शिकायत के बाद भी नहीं समस्या का निवारण 

सुबह से देर रात तक इसी तरह पानी के लिए जिद्दोजहद करनी पड़ती है। कुछ हैंडपंप सालों से खराब हैं‌। इसकी शिकायत हम लोगों ने कई बार सीएम हेल्पलाइन में की। लेकिन अपने बचाव के लिए कर्मचारियों अधिकारियों द्वारा सामाजिक राजनीतिक दबाव बनाकर सुधार करवाने का झूठा वादाकर सीएम हेल्पलाइन शिकायत को वापस लेने के लिए दबाव बनाते हैं। 

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कई वर्षों से है पानी की भयावह स्थिति 

अगर सोचा जाये यहां दो-तीन लोगों के पास निजी बोर हैं। पानी ले लिया जाये तो एक ट्रांसफार्मर महीनों से जला है केविल जर्जर है बिजली भी अच्छे से नहीं रहती। पंचायत विभाग द्वारा न टैंकर की व्यवस्था की गई पीएचई विभाग ने अभी तक हैंडपंप नहीं सुधारवाएं हैं। एक ओर सरकार दावा करती है कि पानी के लिए लाखों रूपये खर्च किए जाते है लेकिन इस गांव के लिए लोगों को एक रूपय का भी लाभ दिखाई नहीं दे रहा है। 

पानी की टंकी बनवाने की मांग 

ग्रामीणों की सरकार और प्रशासन से मांग है कि यहां पानी की टंकी बनाई जाएं। पानी की किल्लत से शायद पानी की किल्लत से छुटकारा मिल सके। सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन न होने पर पेयजल संकट में फिलहाल कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है। जमीनी हकीकत पानी के लिए जद्दोजहद कर रहे लोग परेशान है। 

 

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