Edited By meena, Updated: 02 Dec, 2025 12:44 PM

छत्तीसगढ़ में पारिवारिक विवादों और संपत्ति को लेकर चल रही बहस के बीच बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक अहम कानूनी संकेत देते हुए साफ कर दिया है...
दुर्ग (हेमंत पाल) : छत्तीसगढ़ में पारिवारिक विवादों और संपत्ति को लेकर चल रही बहस के बीच बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक अहम कानूनी संकेत देते हुए साफ कर दिया है कि तलाक के बाद पत्नी का पति की निजी संपत्ति पर कोई भी ऑटोमैटिक अधिकार नहीं रह जाता। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संपत्ति का मालिकाना हक और पत्नी का रहने या सुरक्षा का अधिकार, दोनों पूरी तरह अलग कानूनी मुद्दे हैं।
कोर्ट ने क्या कहा?
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा तलाक मिलते ही पत्नी पति की निजी संपत्ति पर दावा नहीं कर सकती, जब तक कोई कानूनी आदेश उसके पक्ष में न हो। यदि संपत्ति ‘मैरीटल होम’ के रूप में दर्ज नहीं है, तो तलाक के बाद पत्नी का वहां रहने का अधिकार स्वतः समाप्त माना जाएगा। हालांकि, पत्नी भरण-पोषण (Maintenance) के अधिकार से वंचित नहीं होती। CrPC 125 और अन्य कानूनों के तहत उसे आर्थिक सहायता मिल सकती है।
बच्चों पर असर नहीं अधिकार रहेंगे पहले जैसे
हाईकोर्ट ने बच्चों के अधिकार को सर्वोच्च रखते हुए कहा कि बच्चों का हित किसी भी मामले में सबसे ऊपर है। उनकी परवरिश, सुरक्षा और शिक्षा किस माहौल में बेहतर होगी। यह अदालत व्यावहारिक आधार पर तय करेगी। जरूरत पड़ने पर बच्चे पिता के घर भी रह सकते हैं और संपत्ति पर उनका वारिसाना अधिकार तलाक से प्रभावित नहीं होता।
सेशन कोर्ट के फैसले के बाद हाईकोर्ट का हस्तक्षेप
सूत्रों के अनुसार मामला पहले फैमिली/सेशन कोर्ट में चल रहा था। फैसले को चुनौती देने पर हाईकोर्ट ने व्यापक टिप्पणी करते हुए स्थिति को स्पष्ट किया। हालांकि यह आदेश अंतिम नहीं जरूरत पड़ने पर पक्ष सुप्रीम कोर्ट जा सकता है।
इस फैसले से क्या बदलेगा?
पत्नी का स्वतः संपत्ति पर दावा खत्म।
बच्चों के अधिकार सुरक्षित और प्राथमिक।
पत्नी को भरण-पोषण का हक जारी रहेगा।
हर मामला अपनी परिस्थितियों और दस्तावेजों के आधार पर ही तय होगा।