Edited By meena, Updated: 24 Sep, 2019 11:50 AM
मध्यप्रदेश का बहुचर्चित हनीट्रैप मामला अब सीबीआई को सौंपा जा सकता है। इस संबंध में उच्च न्यायालय में सोमवार को एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें इस मामले को सीबीआई को सौंपे जाने की गुहार लगाई है...
भोपाल(इजहार हसन खान): मध्यप्रदेश का बहुचर्चित हनीट्रैप मामला अब सीबीआई को सौंपा जा सकता है। इस संबंध में उच्च न्यायालय में सोमवार को एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें इस मामले को सीबीआई को सौंपे जाने की गुहार लगाई है। याचिका में संदेह जताया गया है कि सूबे के राजनेताओं के दखल से इस हाई-प्रोफाइल मामले की जारी पुलिस जांच पर असर पड़ सकता है। वहीं इसकी जांच के लिए विशेष जांच दल(STI) बनाया गया है। इसके साथ ही हनीट्रैप में शिकार हुए प्राथमिकी दर्ज कराने वाले इंदौर नगर निगम के इंजीनियर को सस्पेंड भी कर दिया गया है।
स्थानीय नागरिक ने की याचिका दायर
दरअसल, इंदौर के 38 वर्षीय स्थानीय नागरिक दिग्विजय सिंह भंडारी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता के वकील मनोहर दलाल ने बताया कि, हमें आशंका है कि मध्यप्रदेश पुलिस हनी ट्रैप मामले के राज छिपा रही है, ताकि प्रभावशाली लोगों को बचाया जा सके। इसलिए जरूरी है कि इस मामले की जांच पुलिस को नहीं बल्कि सीबीआई को सौंप दी जानी चाहिए। ताकि हनीट्रेप केस में कोई राजनीति न खेली जा सके।
जांच के लिए STI का गठन
वहीं, सरकार ने इस मामले की तह तक जाने के लिए एक एसआईटी बनाई है। इसके प्रमुख आईजी सीआईडी डी. श्रीनिवास वर्मा होंगे। 12 सदस्यीय यह एसआईटी डीजीपी विजय कुमार सिंह ने गठित की है जो पूरे मामले की जांच कर खुलासा करेगी।
शिकायतकर्ता इंजीनियर को किया निंलबित
हनी ट्रैप मामले में ब्लेकमेलर महिलाओं के खिलाफ शिकायत करने वाले इंजीनियर हरभजन सिंह को महापौर मालिनी गौड़ के निर्देश के बाद निलंबित कर दिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि नगर निगम प्रशासन ने इस शहरी निकाय के अधीक्षण इंजीनियर हरभजन सिंह को साल 1965 के मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियमों के तहत निलंबित किया।
निलंबन आदेश में कहा गया कि "अनैतिक कृत्य में सिंह की कथित संलिप्तता पहली नजर में अशोभनीय होने के साथ नैतिक पतन की परिचायक है। इस कारण उनकी पेशेवर कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह लग गया है।"