Edited By meena, Updated: 21 Sep, 2022 01:28 PM

विदिशा जिले की लाल राजेंद्र राजपूत का अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव करैया में किया गया। राजेंद्र राजपूत शमशाबाद से आठ किमी दूर ग्राम करैया का रहने वाला था। वह के 6 बहन भाईयों में सबसे छोटा था। पिता गजराज सिंह राजपूत ने बताया कि...
शमशाबाद(धर्मेंद्र प्रजापति): विदिशा जिले की लाल राजेंद्र राजपूत का अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव करैया में किया गया। राजेंद्र राजपूत शमशाबाद से आठ किमी दूर ग्राम करैया का रहने वाला था। वह के 6 बहन भाईयों में सबसे छोटा था। पिता गजराज सिंह राजपूत ने बताया कि राजेंद्र को बचपन से ही सेना में जाने का सपना था। दस वर्ष पूर्व वह सेना में भर्ती हुआ और उसका सपना साकार हुआ। उसने सैनिक की वर्दी पहन देश के लिए सर्वस्व न्योछावर करने की कसम खाई।

दो वर्ष पूर्व लेह लद्दाख में ड्यूटी के दौरान बर्फ की चट्टान में दबने से सिर में चोट आ गई थी जांच के दौरान सिर की नस दबने से ब्रेन ट्यूमर हो गया था जिससे विभाग ने राजेंद्र की पोस्टिंग जयपुर कर दी थी। पिछले दो सालों से राजेंद्र का के सिर के ट्यूमर का इलाज पूना के मिलट्री हॉस्पिटल में चल रहा था।

राजेंद्र जन्माष्टमी पर अपने गांव आया था तब वह स्वस्थ था लेकिन अगस्त माह में वापिस पूना हॉस्पिटल जांच कराने गया था। जहां जांच के दौरान अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सिर में ब्रेन ट्यूमर होने से इलाज के दौरान पूना में राजेंद्र राजपूत की मृत्यु हो गई।
गार्ड ऑफ ऑनर से दी विदाई...
राजेंद्र राजपूत को गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम विदाई दी गई। उनके पैतृक गांव में भी ग्रामीणों ने ट्रैक्टर ट्राली को फूल मालाओं से सजाकर ताबूत को रखकर महानीम चौराहा से करैया तक अंतिम यात्रा निकाली। इस दौरान युवाओं ने हाथों में तिरंगा लेकर भारत माता के जयकारों के साथ चले सैकड़ों की संख्या में आसपास के ग्रामीणों ने पहुंच कर श्रद्धांजलि दी।