Edited By Himansh sharma, Updated: 26 Dec, 2025 11:36 AM

खैरागढ़ जिले के करमतरा गांव में एक मामूली मकान विवाद ने ऐसा तूल पकड़ लिया कि आधी रात गांव से लेकर थाने तक हालात बेकाबू हो गए।
खैरागढ़। (हेमंत पाल): छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले के करमतरा गांव में एक मामूली मकान विवाद ने ऐसा तूल पकड़ लिया कि आधी रात गांव से लेकर थाने तक हालात बेकाबू हो गए। बीती रात करीब 12 बजे सैकड़ों ग्रामीणों का आक्रोश जालबांधा चौकी तक जा पहुंचा, जहां जमकर नारेबाजी हुई और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए गए।
पूरा मामला भूपत साहू और तेजेश्वर (तेज )साहू के बीच लंबे समय से चले आ रहे मकान विवाद से जुड़ा है, जिसे समय रहते नहीं सुलझाया जा सका। ग्रामीणों का आरोप है कि भूपत साहू लगातार गांव में तनाव की स्थिति पैदा कर रहा था, विवाद को बढ़ावा दे रहा था और लोगों को उकसाता रहा, लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने शुरुआती स्तर पर कोई ठोस और सख्त कार्रवाई नहीं की। यही लापरवाही धीरे-धीरे बड़े बवाल में तब्दील हो गई।
ग्रामीणों के मुताबिक, विवाद को सुलझाने के लिए गांव में कई बार पंचायतें बुलाई गईं, बुजुर्गों और समाज प्रमुखों ने समझाइश भी दी, लेकिन आरोपित पक्ष की ओर से धमकी और उकसावे की कार्रवाई लगातार जारी रही। बीती रात हालात उस वक्त और बिगड़ गए, जब खुलेआम नाम लेकर धारदार हथियारों से जान से मारने की धमकियां दी गईं। इससे पूरे गांव में दहशत का माहौल बन गया। डरे-सहमे ग्रामीण, जिनमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल थे, अपने घरों से निकलकर न्याय की उम्मीद में सीधे जालबांधा चौकी की ओर कूच कर गए। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस ने देर से हरकत में आकर स्थिति को संभालने की कोशिश की, जिससे गुस्सा और भड़क गया।
हालात ऐसे बने कि थाना परिसर में ‘पुलिस मुर्दाबाद’ के नारे तक लगने लगे, जो जिले की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। शिकायत के बाद पुलिस ने भूपत दास उर्फ साहेब, दीपक साहू और उसके पुत्र सूर्यकांत साहू सहित तीन लोगों को हिरासत में लेते हुए भारतीय न्याय संहिता की धारा 170 और 126 के तहत कार्रवाई की है। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि यह कार्रवाई काफी देर से और जनदबाव में की गई। उनका आरोप है कि अगर समय रहते सख्ती दिखाई जाती, तो हालात इस हद तक नहीं पहुंचते।
ग्रामीणों ने बताया कि लगातार मिल रही धमकियों के कारण गांव में भय का माहौल है। महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। स्कूल जाने वाले बच्चे हों या खेतों में काम करने वाले किसान हर कोई डर के साए में जीने को मजबूर है। वहीं, चौकी प्रभारी बीरेंद्र चंद्राकर ने स्थिति नियंत्रण में होने का दावा किया है। लेकिन करमतरा की यह घटना एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि क्या खैरागढ़ जिला पुलिस हालात बिगड़ने के बाद ही सक्रिय होती है।
फिलहाल गांव में तनावपूर्ण शांति बनी हुई है, लेकिन ग्रामीणों की मांग है कि गांव में स्थायी पुलिस व्यवस्था की जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में किसी को आधी रात थाने पहुंचकर न्याय की गुहार न लगानी पड़े।